Saturday, May 12, 2018

ज़रूर पढ़ें । कामयाबी का पैमाना।

पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था।

बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता।

इसलिए  दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया ।

ज़मीन, जायदाद, ज़ेवर सब गिरवी रख के 35 लाख रूपये दलालों को दिए, लेकिन अफसोस वहाँ धोखा हो गया।

अब क्या करें...?

लड़के को तो डॉक्टर बनाना है कैसे भी...!!

फिर किसी तरह विदेश में लड़के का एडमीशन कराया गया, वहाँ लड़का चल नहीं पाया।

फेल होने लगा..
डिप्रेशन में रहने लगा।

रक्षाबंधन पर घर आया और घर में ही फांसी लगा ली।
सारे अरमान धराशायी.... रेत के महल की तरह ढह गए....

20 दिन बाद माँ-बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा कर आत्म-हत्या कर ली।

अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा ने पूरा परिवार लील लिया।
माँ बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ...

मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को Topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं
कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है।

आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की Evaluation और Gradening ऐसे करती है, जैसे सेब के बाग़ में सेब की खेती की जाती है।
पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही Syllabus पढ़ाया जा रहा है ..

For Example -

जंगल में सभी पशुओं को एकत्र कर सबका इम्तिहान लिया जा रहा है और पेड़ पर चढ़ने की क्षमता देख कर Rank निकाली जा रही है।

यह शिक्षा व्यवस्था, ये भूल जाती है कि इस प्रश्नपत्र में तो बेचारा हाथी का बच्चा फेल हो जाएगा और बन्दर First आ जाएगा।

अब पूरे जंगल में ये बात फैल गयी कि कामयाब वो है जो झट से पेड़ पर चढ़ जाए।

बाकी सबका जीवन व्यर्थ है।

इसलिए उन सब जानवरों के,  जिनके बच्चे कूद के झटपट पेड़ पर न चढ़ पाए, उनके लिए कोचिंग Institute खुल गए, वहां पर बच्चों को पेड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है।

चल पड़े हाथी, जिराफ, शेर और सांड़, भैंसे और समंदर की सब मछलियाँ चल पड़ीं अपने बच्चों के साथ, Coaching institute की ओर ........

हमारा बिटवा भी पेड़ पर चढ़ेगा और हमारा नाम रोशन करेगा।

हाथी के घर लड़का हुआ .......
तो उसने उसे गोद में ले के कहा- "हमरी जिन्दगी का एक ही मक़सद है कि हमार बेटा पेड़ पर चढ़ेगा।"

और जब बच्चा पेड़ पर नहीं चढ़ पाया, तो हाथी ने सपरिवार ख़ुदकुशी कर ली।

अपने बच्चे को पहचानिए।
वो क्या है, ये जानिये।

हाथी है या शेर ,चीता, लकडबग्घा , जिराफ ऊँट है
या मछली , या फिर हंस , मोर या कोयल ?
क्या पता वो चींटी ही हो? यदि आपका बच्चा चींटी है तो हताश या निराश न हों। चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज्यादा वजन उठा सकती है। इसलिए अपने बच्चों की क्षमता को परखें और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, न कि भेड़ चाल चलाते हुए उसे हतोत्साहित करें।

याद रखिए, किसी को शहनाई बजाने पर भी भारत रत्न से नवाज़ा गया है।

3 comments:

Gurvinder Singh said...

Sideeque bhai ..gajab likhte h aap👌👌

Unknown said...

True

Unknown said...

Boht achha tareeka hai samjhane ka 👌🏻👌🏻